सोमवार, 22 सितंबर 2008

हमेशा नम्बर वन रहने वाली रेखा इस बार भी अव्वल रही

रेखा (2007 फरवरी)

सात सितम्बर को अचानक बहुत दिनों बाद रेखा की याद आयी. उसका फोन नम्बर मेरे पास नहीं था. मैंने सोचा इंटरनेट पर शायद मिल जाय. इसलिये मैं गूगल सर्च इंजिन पर उसे तलाशने पहुँची. मुझे रेखा का ई मेल आई डी मिल भी गया. मैने उसे एक ई मेल किया भी और फिर शुरू हुआ उसके जवाब का इंतजार . उसका जवाब तो नहीं मिला किंतु उसके बारे में एक ऐसी खबर मिली जिसके बारे में मैंने सपने में भी कल्पना नहीं की थी.
दोपहर में विभूति का फोन आया कि 10 सितम्बर के दिन जयपुर से रेखा बहुत दूर चली गयी, इतनी दूर कि अब उससे कभी बात नहीं हो पायेगी. समझ में नही आया कि ऐसा कैसे हो गया ? अभी तो उसे बहुत कुछ करना था. न जाने कितने काम अधूरे छोड गयी.
बनस्थली में वह थी ही नहीं तो मेरा मैसेज कैसे पढती ! इन दिनों. ज्योति विद्यापीठ में रेखा वाइस चांसलर के पद की शोभा बढा रही थी. इनाग्रल सेशन की स्पीच देते देते वह हमेशा के लिये खामोश हो गयी. असाधारण प्रतिभा वाली रेखा दुनियां से गयी भी असाधारण तरीके से . कितनी बडी क्षति हुयी है इसका हिसाब लगाना नामुमकिन है
रेखा (1974 मार्च)


(रेखा और मैं बनस्थली विद्यापीठ मैं एक साथ पढते थे. मेरी शिक्षा बनस्थली में ही हुयी है.मैं बोर्डिंग में थी और वह डे स्कॉलर . बी•एस•सी• तक हमारा साथ रहा किंतु एम•एस•सी• मैंने बनस्थली से इनार्गनिक केमिस्ट्री में किया और रेखा ने न्युक्लियर फिजिक्स में जयपुर यूनिवर्सिटी को ज्वॉयन किया. मेरी बहुत प्यारी दोस्त रेखा अब इस दुनियां में मौजूद नहीं है . उसका अकादमिक रिकार्ड अद्वितीय है. वह हायर सैकेंडरी, बी•एस•सी• एवं एम•एस•सी• सभी मे पूरे राजस्थान में पहले नम्बर पर रही. उसके बाद कुछ वर्षों तक भाभा ऐटोमिक रिसर्च सेंटर में साइंटिस्ट रही . तत्पश्चात बनस्थली में कई वर्षों तक कम्प्यूटर साइंस विभाग में प्रोफेसर और हेड रही . पिछले दिनों वह वहां डीन थी . अभी तीन महीने पहले ही उसने बनस्थली से इस्तीफा देकर ज्योति विद्यापीठ में वाइस चांसलर के पद पर ज्वॉयन किया था और उस यूनिवर्सिटी के इनॉग्रल डे पर स्पीच देते हुये इस दुनियां से विदा ले ली. उसे बडी जल्दी रहती थी . सबसे पहले सभी काम करने की उसकी पुरानी आदत थी . इस बार भी वह हम सबसे बाजी मार गयी. हमेशा नम्बर वन रहने वाली रेखा इस बार भी अव्वल रही. इस बार भी उसने हम सबको बहुत पीछे छोड दिया.
गूगल सर्च इंजिन पर उसके बारे में तमाम जानकरियां उपलब्ध हैं.)

पद्मा

4 टिप्‍पणियां:

कथाकार ने कहा…

कहीं आप रेखा गोविल की बात तो नहीं कर रहीं.. उनके पति प्रबोध गोविल मेरे कहानी कार मित्र हैं पर अरसे से सम्‍पर्क नहंी है. रेखा जी ही कम्‍प्‍यूटर विभाग में हेड हुआ करती थीं. प्‍लीज खबर दें मुझे
सूरज

padma rai ने कहा…

सूरज जी,
मैं रेखा गोविल के बारे में ही बात कर रहीं हूं. वही मेरी दोस्त थी. वही हेड भी थी. और फिर वही इस अनोखे और असाधारण तरीके से सबसे बात करते करते सबको अलविदा कह गयी.
पद्मा राय

रंजन (Ranjan) ने कहा…

करीब तीन वर्ष पहले मेरी पत्नी ने वनस्थली के व्याख्याता पद से इस्तीफा दिया तो हम शिष्टाचार भेंट के लिये रेखा गोविल से मिलने गये.. वो उस समय aims & act (शायद) में डीन थी...

वो मुलाकात हमें आज भी याद है.. बहुत मृदुभाषी थी..

बहुत दुख हुआ जानकर..

संगीता पुरी ने कहा…

अच्छे लोगों पर शायद भगवान की भी नजर लगी होती है , उन्हें वापस बुलाने को। उन्हें हमारी श्रद्धांजलि।